नृत्य के जरिए दिलों को छू रही बिहार की शंभवी शर्मा, ‘नृत्यामृत’ के ज़रिए दे रही हैं हीलिंग का संदेश

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नृत्य के जरिए दिलों को छू रही बिहार की शंभवी शर्मा, ‘नृत्यामृत’ के ज़रिए दे रही हैं हीलिंग का संदेश

कला केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि उपचार का माध्यम भी बन सकती है, यह साबित कर रही हैं 17 वर्षीय शंभवी शर्मा, जो दिल्ली स्थित संस्कृत स्कूल की छात्रा हैं और मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखती हैं। शंभवी ने मात्र 9 साल की उम्र से पद्मश्री गुरु राजा और राधा रेड्डी के सान्निध्य में कुचिपुड़ी नृत्य की शिक्षा ली और अब इसी कला को ‘नृत्यामृत’ नामक अपने अनूठे प्रोजेक्ट के ज़रिए समाज के लिए एक चिकित्सा-साधन बना रही हैं।

शंभवी ने हाल ही में दिल्ली के एक मोहल्ले में 13 वंचित बच्चों को कुचिपुड़ी की बुनियादी मुद्राओं से परिचित कराया। ‘समभंग’ और ‘त्रिभंग’ जैसी मुद्राओं ने बच्चों के भीतर आत्मविश्वास जगाया। इस सत्र का एक छोटा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और लोगों द्वारा खूब सराहा जा रहा है। बच्चों ने नृत्य के बाद अपने अनुभवों को चित्रों में उकेरा, किसी ने त्योहारों की खुशी दिखाई तो किसी ने अपनी मां की ममता।

इसके अलावा, शंभवी ने आर्मी बेस अस्पताल के एक वार्ड में मरीजों के बीच ‘दशावतार’ कुचिपुड़ी की प्रस्तुति दी। उनका नृत्य केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि शांति और आशा का संदेश बन गया। मरीजों ने बताया कि इस नृत्य ने उन्हें भीतर से सुकून दिया। एक सर्वे में 83% मरीजों ने माना कि वे इस प्रस्तुति के बाद “अधिक खुश” या “शांत” महसूस कर रहे हैं।

शंभवी की यह यात्रा यहीं नहीं रुकती। वे ‘अनरुली आर्ट’ और ‘प्रोजेक्ट प्रकाश’ जैसे इनिशिएटिव के ज़रिए दिव्यांग और नेत्रहीन बच्चों के लिए कला को सुलभ बना रही हैं। उनके प्रयासों से ₹2 लाख की धनराशि जुटाई गई, जो विशेष रूप से सक्षम बच्चों की सहायता के लिए प्रयोग की गई। हाल ही में इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित ‘मास्टर स्ट्रोक्स’ प्रदर्शनी में उन्होंने इन बच्चों को कला की विविधता से रूबरू कराया।

संस्कृत स्कूल में कल्चरल काउंसिल की अध्यक्ष रहीं शंभवी कहती हैं, “नृत्य मेरे लिए प्रार्थना है, और यह उन लोगों के लिए मेरी भेंट है जो चुपचाप संघर्ष कर रहे हैं।”

शंभवी की यह पहल यह दर्शाती है कि जब कला को सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ा जाए, तो वह समाज को जोड़ने, समझने और बेहतर करने का माध्यम बन सकती है। बिहार की बेटी शंभवी ने यह साबित कर दिया है कि कुचिपुड़ी की हर एक मुद्रा में छिपा है एक स्पर्श, जो दिल को छू सकता है और आत्मा को सुकून दे सकता है।

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