अंकिता भंडारी हत्याकांड: उम्रकैद के फैसले से संतुष्ट नहीं परिजन, बोले – ‘हत्यारों को मिले फांसी’, हाईकोर्ट में करेंगे अपील
कोटद्वार – उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार कोटद्वार की अदालत ने फैसला सुना दिया। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने शुक्रवार को मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके साथ ही मृतका के परिजनों को चार लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का भी आदेश दिया गया है।

अदालत का फैसला, लेकिन अधूरा इंसाफ Ankita Bhandari Mueder Case
अदालत का यह फैसला जहां कानूनी दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है, वहीं अंकिता के माता-पिता इस सजा से संतुष्ट नहीं हैं। बेटी को खोने के गम में टूट चुके परिजनों ने अदालत परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “जिन लोगों ने हमारी बेटी को दर्दनाक तरीके से मारा, उन्हें भी सरेआम फांसी दी जानी चाहिए। उम्रकैद बहुत कम सजा है। हमें इस फैसले से संतोष नहीं है।” Ankita Bhandari Mueder Case
अंकिता की मां ने रोते हुए कहा, “हमने इंसाफ के लिए लंबा इंतजार किया, लेकिन यह फैसला हमारी उम्मीदों से कम है। हम चाहते हैं कि हमारी बेटी के हत्यारों को फांसी दी जाए – हमारी आंखों के सामने। हम इस फैसले को चुनौती देंगे और हाईकोर्ट जाएंगे।”

कौन थी अंकिता और क्या था मामला?
19 वर्षीय अंकिता भंडारी Ankita Bhandari Mueder Case सितंबर 2022 में लापता हो गई थी। वह ऋषिकेश के पास स्थित एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम कर रही थी। कुछ दिन बाद उसकी लाश एक नहर में मिली थी। जांच में पता चला कि रिसॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य, जो एक राजनीतिक रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखता है, उस पर अंकिता को ‘विशेष सेवाएं’ देने का दबाव बनाया गया था। जब अंकिता ने इसका विरोध किया, तो उसकी हत्या कर दी गई।
यह मामला सामने आते ही पूरे उत्तराखंड में आक्रोश फैल गया। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोगों ने न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किए। सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया और मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया गया।
SIT की जांच और लंबी सुनवाई
SIT ने मामले में 97 गवाहों को चिह्नित किया, जिनमें से 47 गवाहों को अदालत में पेश किया गया। करीब ढाई साल तक चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 500 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने 19 मई 2025 को अंतिम बहस पूरी की थी, जिसके बाद कोर्ट ने 30 मई को फैसला सुनाने की तारीख तय की।
सुरक्षा व्यवस्था और जनता का गुस्सा
फैसले के दिन कोटद्वार में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। गढ़वाल मंडल के विभिन्न जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया था। अदालत परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में बैरिकेडिंग की गई, लेकिन गुस्साई भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़कर कोर्ट में घुसने का प्रयास किया। पुलिस ने किसी तरह हालात को काबू में रखा। Ankita Bhandari Mueder Case
आगे की कानूनी लड़ाई
हालांकि अदालत ने कानून के अनुसार सजा सुनाई है, लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि यह सजा अपराध की गंभीरता के हिसाब से बहुत कम है। अब अंकिता के माता-पिता हाईकोर्ट में अपील करेंगे, ताकि दोषियों को फांसी की सजा मिल सके। इस मामले Ankita Bhandari Mueder Case को लेकर प्रदेश की जनता भी लगातार सरकार और न्यायपालिका से सख्त सजा की मांग कर रही है।
यह फैसला एक तरफ जहां न्याय की ओर एक कदम है, वहीं यह भी स्पष्ट करता है कि पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई अदालत के एक आदेश के बाद भी समाप्त नहीं होती। अंकिता भंडारी की कहानी उन तमाम बेटियों की आवाज बन चुकी है जो न्याय की आस में टकटकी लगाए बैठी हैं।