देहरादून। जिस दौर में राजनीति अक्सर सुविधाओं और लाभ के लिए पहचानी जाती है, ऐसे समय में उत्तराखंड के पूर्व सैनिक और सैन्य धाम के शिल्पकार कर्नल (रि.) अजय कोठियाल ने सेवा भाव की मिसाल पेश की है। उन्होंने पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के तौर पर मिलने वाली सभी सरकारी सुविधाएं त्याग कर उन्हें पूर्व सैनिकों के कल्याण पर खर्च करने का निर्णय लिया है।

कर्नल कोठियाल की इस पहल ने राजनीति में नैतिकता और जनसेवा की एक नई मिसाल कायम की है। वर्तमान में जहां राजनीतिक पदों को अक्सर व्यक्तिगत लाभ के रूप में देखा जाता है, वहीं कर्नल कोठियाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह सत्ता सुख नहीं, सेवा धर्म निभाने के लिए राजनीति में आए हैं।
हर माह की पूरी राशि सैनिकों के नाम
कर्नल कोठियाल को परिषद के अध्यक्ष पद पर रहते हुए सरकार की ओर से निम्नलिखित सुविधाएं मिलती हैं:
- वाहन हेतु ₹80,000 प्रति माह
- आवास/कार्यालय हेतु ₹25,000
- टेलीफोन/मोबाइल ₹2,000
- कार्मिकों का मानदेय ₹27,000
- स्वयं का मानदेय ₹45,000
- यात्रा भत्ता ₹40,000
कुल मिलाकर यह राशि ₹2.19 लाख प्रति माह और सालाना करीब ₹25 लाख बनती है। उन्होंने सैन्य कल्याण निदेशालय को एक तीन पृष्ठीय चिट्ठी लिखकर यह घोषणा की है कि यह पूरी राशि अब पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए समर्पित की जाए।



मिसाल बनते जा रहे हैं कर्नल कोठियाल
पूर्व सैनिकों के लिए सैन्य धाम जैसे महत्वपूर्ण प्रकल्प को आकार देने वाले कर्नल कोठियाल इससे पहले भी कई बार अपने सेवा भाव और जनहित के कार्यों से चर्चा में रहे हैं। अब उनका यह फैसला उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत बन सकता है।
राजनीति में शुचिता की उम्मीद
जब राजनीति को केवल लाभ अर्जित करने का माध्यम समझा जाने लगा है, उस समय कर्नल कोठियाल जैसे जनप्रतिनिधि यह भरोसा दिलाते हैं कि राजनीति सेवा का माध्यम भी हो सकती है।