Uttarakhand तकनीकी विश्वविद्यालय में सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच पर ब्रेक, जांच अधिकारी का अचानक तबादला

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देहरादून: वीर माधो सिंह भंडारी Uttarakhand तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU) में करोड़ों रुपये के सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच फिलहाल अटकती नजर आ रही है। जांच की जिम्मेदारी संभाल रहीं निदेशक ITDA और वरिष्ठ IAS अधिकारी नितिका खंडेलवाल का अचानक तबादला कर दिया गया है। इससे जांच प्रक्रिया पर न सिर्फ सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि पूरी प्रक्रिया के प्रभावित होने की आशंका भी गहराने लगी है।

Uttarakhand Technical University
Uttarakhand Technical University Software Scam

5 सदस्यीय जांच समिति बनी, 15 दिन में जांच पूरी करनी थी
Uttarakhand सरकार ने 5 मई को सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपनी थी। समिति में तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञों को शामिल किया गया था ताकि ERP और यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (UMS) से जुड़े अनियमितताओं की गहन जांच हो सके।

9 दिन में जांच अधिकारी का ट्रांसफर
जांच समिति की अगुवाई कर रहीं नितिका खंडेलवाल को 14 मई को निदेशक ITDA के पद से हटा दिया गया। अब यह जिम्मेदारी IAS गौरव कुमार को सौंपी गई है। लेकिन नई जिम्मेदारी मिलने के बावजूद अब तक कोई बैठक नहीं बुलाई गई है और न ही जांच को लेकर कोई प्रगति हो पाई है।

कंपनी को मिला था दो करोड़ रुपये का भुगतान
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने लखनऊ की एक निजी कंपनी को ERP और UMS सॉफ्टवेयर तैयार करने का ठेका दिया था, जिसके बदले कंपनी को लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। लेकिन तकनीकी शिक्षा सचिव की प्रारंभिक जांच में घोटाले के संकेत मिलने पर यह पूरा मामला उजागर हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि सॉफ्टवेयर के विकास और संचालन की प्रक्रिया में भारी वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं।

जांच में देरी से उठे सवाल
नितिका खंडेलवाल के स्थानांतरण के बाद न सिर्फ जांच की रफ्तार थम गई है, बल्कि अब जांच के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। नए अधिकारी को मामले की पूरी जानकारी जुटाने और प्रक्रिया को फिर से शुरू करने में समय लग सकता है, जिससे जांच की समयसीमा और विश्वसनीयता दोनों प्रभावित हो सकती हैं। Uttarakhand News

आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर प्रशासनिक निर्णय हो सकता है, लेकिन इस समय पर लिया गया यह कदम, करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच को कमजोर कर सकता है। शासन को चाहिए कि वह जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और स्पष्ट निर्णय ले।

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