Pauri Garhwal Vaccination News | Uttarakhand Baby Death After Vaccine | Health Department Investigation

पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड। जिले के पाबौ ब्लॉक के पटोटी गांव में एक साढ़े तीन माह के शिशु की टीकाकरण के 24 घंटे के भीतर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। शिशु के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत दर्ज करवाई है। परिजनों की तहरीर पर स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
मामले की पूरी जानकारी: कैसे हुई शिशु की मौत?
मृतक शिशु के दादा मंगल सिंह के अनुसार, बीते सोमवार को वह अपने तीन माह के पोते को नियमित टीकाकरण के लिए सब सेंटर बजवाड़ लेकर गए थे। टीकाकरण के 24 घंटे के भीतर ही शिशु की मौत हो गई। उनका आरोप है कि यदि टीकाकरण से पहले बच्चे की समुचित जांच की गई होती, तो यह हादसा टाला जा सकता था।
शिशु की मौत के बाद उसकी मां रामेश्वर देवी गहरे सदमे में हैं। गांव में मातम पसरा हुआ है और लोगों में टीकाकरण प्रक्रिया को लेकर चिंता बढ़ गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की जांच, गठित की जांच टीम
मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉ. पारुल गोयल ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच टीम गठित कर दी गई है। यह टीम पटोटी गांव जाकर घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कर रही है। टीम को निर्देश दिए गए हैं कि टीकाकरण से जुड़ी सभी जानकारी, शिशु का चिकित्सा इतिहास और परिजनों के बयान लेकर तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार की जाए।
डॉ. गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही सामने आती है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जन्म से ही कमजोर था शिशु, वजन था सिर्फ 1.5 किलोग्राम
पाबौ अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. पंकज सिंह के मुताबिक, मृतक शिशु का जन्म समय से पहले (प्रीमेच्योर) हुआ था और उसका वजन महज 1.5 किलोग्राम था। सोमवार को उसे Pentavalent (पेंटा), FIPV, PCV और पोलियो के टीके लगाए गए थे। उसी दिन दो अन्य बच्चों को भी यही टीके दिए गए थे, जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
जिलाधिकारी ने दिए जांच के निर्देश
जिलाधिकारी आशीष चौहान ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि CMO की टीम पहले ही गांव में जांच शुरू कर चुकी है और जल्द ही मौत के कारणों की पूरी रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
पौड़ी गढ़वाल में टीकाकरण के बाद शिशु की मौत का यह मामला न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है, बल्कि ग्रामीणों के बीच डर और असमंजस भी पैदा कर रहा है। जांच रिपोर्ट के आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि यह मौत लापरवाही का नतीजा थी या दुर्भाग्यपूर्ण संयोग।